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उत्तराखंड के वो गांव जहां पहली बार बजी फोन की घंटी, डेढ़ दशक बाद काम आएंगे ग्रामीणों के मोबाइल

उत्तराखंड: गांव में पहली बार बजी फोन की घंटी, डेढ़ दशक बाद काम आएंगे ग्रामीणों के मोबाइल

पिथौरागढ़: डिजिटल इंडिया के सपने की तरफ प्रदेश बढ़ रहा है। समकोट समेत 25 गांवों में पहली बार फोन की घंटी सुनाई दी है। विधायक निधि से पूरे हुए इस काम के बाद अब ग्रामीणों के नेटवर्क के लिए 35 किमी दूर नहीं जाना पड़ेगा।

गौरतलब है कि देश के कोने कोने में पहुंच रही संचार व्यवस्था मुनस्यारी तहसील सीमा से दूर समकोट क्षेत्र में अब पहुंची हैं। बता दें कि क्षेत्र से सटा मुनस्यारी क्षेत्र पहले ही मोबाइल फोन सेवा से जुड़ गया था मगर इस क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांव संचार सुविधा से वंचित थे।

यहां लैंडलाइन संचार सेवा भी नहीं थी। बता दें कि डेढ़ दशक पूर्व सेवा शुरू होने की आस में समकोट, कोटा पंद्रहपाला के ग्रामीणों ने मोबाइल फोन खरीद लिए थे। मगर उनकी सही से इस्तेमाल अभी तक नहीं हो पा रहा था। हालांकि अब क्षेत्र को संचार सेवा से जोड़ा गया है। जिससे ग्रामीणों का खासा राहत मिल सकेगी।

शुक्रवार को एसडीएम अभय प्रताप सिंह के निर्देश पर एक हफ्ते तक मौके पर रह कर टावर संबंधित अधिकारियों की टीम ने बिजली लाइन पहुंचवाई। हालांकि गिरगांव के पास हुए भुस्खलन से बिजली लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। सुबह मोबाइल टॉवर तक बिजली पहुंची और समकोट क्षेत्र में 4G के नेटवर्क आए।

बता दें कि इसका काफी श्रेय धारचूला के विधायक हरीश धामी को जाता है। उन्होंने अपनी विधायक निधि से ये काम करवाया है। 2019 में अपनी विधायक निधि से हरीश धामी ने तीस लाख के आसपास धनराशि दी। बता दें कि बीएसएनएल ने टॉवर के लिए धनराशि मिलने पर टॉवर खड़ा किया।

हाल ही में सरकार से निर्देश मिले तो टॉवर को बिजली दी गई। मगर बिजली लाइन आपदा की भेंट चढ़ गई। इसके बाद राजस्व विभाग ने एक सप्ताह तक इसे ठीक कराया। बता दें कि पूरे गांव में खुशी की लहर है। जानकारी के अनुसार अभी तक ग्रामीण 15 से 35 किमी दूर नाचनी, बांसबगड़, गिनीबैंड और मुनस्यारी जाकर गैस सिलिंडर की बुकिंग करते थे। नेटवर्क आने से मल्ला समकोट, तल्ला समकोट, राया, बजेता, कोटा पंद्रहपाला, दाखिम, सेलमाली जैसे बड़े गांवों के अलावा दो दर्जन राजस्व एवं तोक गांव को फायदा मिलेगा।

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