Sports News

इस जीत का जश्न जरूरी है,टोक्यो का कांस्य भारतीय हॉकी को बदल सकता है

हल्द्वानी:टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक अपने नाम किया है। चार दशकों के बाद भारत की झोली में कोई पदक आया है। पूरा देश इस पदक की खुशी बना रहा है। इससे पहले हॉकी में भारतीय टीम ने 1980 ओलंपिक में गोल्ड अपने नाम किया था जो मॉस्कों में खेला गया था। उस वक्त देश की जनसंख्या करीब 75 करोड़ थी और अब 140 करोड़ के पास है। ये हम सभी के लिए भावुक पल है और इसे जीना बेहद जरूरी है। अगर आज हम इस जश्न का हिस्सा नहीं बनेंगे तो भारतीय हॉकी बदलाव की तरफ नहीं बढ़ पाएगा। भारत ने जर्मनी को 5-4 से हराकर टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल किया है। टोक्यो अभियान जब शुरू हुआ था तो शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि टीम इंडिया पदक के साथ वापसी करेगी।

ऊधमसिंह नगर: नाबालिग का एबॉर्शन कराने पहुंचा प्रेमी, इलाज के दौरान हुई मौत

भारत में उत्तराखंड नंबर वन, मोबाइल भूकंप अलर्ट एप बनाने वाला पहला राज्य बना

किसी भी खेल को आगे बढ़ने के लिए जीत की जरूरत होती है। भारतीय फैंस को पदक चाहिए था और मनप्रीत सिंह एंड कंपनी वो करके दिखाया है। अब पूरे भारत का फर्ज है कि वह भारतीय हॉकी की इस जीता का जश्न इस तरह से बनाए कि हमारा राष्ट्रीय खेल एक नए युग की ओर प्रवेश करें। फैंस के समर्थन से ही खिलाड़ी का आत्मविश्वास बढ़ता है। जिस तरह से क्रिकेट को भारतीय फैंस ने अपने सहयोग से ऊंचाई दी है उसी तरह से अब हॉकी को पहचान देने की जरूरत है। ऐसा नहीं होना चाहिए है कि केवल जीत पर ही हम अपनी टीम के साथ खड़े रहे… हमे हार में भी उनका साथ देना होगा। जिस देश में महान ध्यानचंद ने जन्म लिया हो… हॉकी में देश को पहचान दिलाई हो… उस विरासत को यंग इंडिया को अपनी जिम्मेदारी समझना होगा।

हरिद्वार में शर्मनाक घटना,सेमीफाइनल में हार पर वंदना कटारिया के घर के बाहर छोड़े गए पटाखे

टीम इंडिया के पूर्व कोच को उत्तराखंड की महिला क्रिकेटरों ने बनाया अपना प्रशंसक

जर्मनी के खिलाफ मैच पर नजर डाले तो भारत बैकफुट पर जरूर रहा था। जर्मनी ने पहले बढ़त बनाई थी और बाद में उसे लगातार पेनाल्टी कॉर्नर मिल रहे हैं। भरोसेमंद पीआर श्रीजेश दिवार की तरह गोलपोस्ट के आगे खड़े रहे। मैच खत्म से करीब 6 सेकेंड पहले ही उन्होंने एक बचाव किया, जिसकी बदौलत टीम कांस्य पदक हासिल करने में कामयाब हुई है।

गौलापार के किसान की बड़ी कामयाबी, नरेंद्र 09 के नाम से जाना जाएगा गेंहू, मान्यता मिली

हॉकी में भारत ने रचा इतिहास,ओलंपिक में 41 साल बाद जीता पदक

इस जीत के बाद हॉकी खिलाड़ियों को नए मुकाम के लिए तैयार करने की जरूरत है। हॉकी इंडिया को भी स्मार्ट तरीके से काम करना होगा। भारतीय हॉकी को उस तरीके से आगे बढ़ाना होगा, जिस तरीके से बीसीसीआई ने क्रिकेट को बदला था। इसके अलावा खिलाड़ियों को आधुनिक सुविधा दिया जाना बेहद जरूरी है। टोक्यो का कांस्य एक राह है और इस पर सभी भारतीयों को चलकर इसे भविष्य को गोल्ड में बदलना होगा।

To Top
Ad