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चमोली की मानसी नेगी के संघर्ष ने दिलाई उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता

Haldwani; Mansi Negi story:- सफलता की सीढ़ी पर वही चढ़ पाता है जो संघर्ष को अपनाता है। चमोली जिले की मानसी नेगी भी ऐसे ही संघर्ष व सफलता की कहानी का हिस्सा है।


चमोली के गांव मझोठी में जन्मी मानसी का जीवन सफर संघर्षपूर्ण रहा। पिता लखपत सिंह नेगी के निधन के बाद मां शकुंतला देवी ने गांव में गाय का दूध बेचकर बेटी को खेल के क्षेत्र में नए मुकाम तक पहुंचाने में मदद की। आज मानसी नेगी वॉक रेस में प्रदेश व देश का नाम भारत ही नहीं बल्कि चीन सहित अन्य देशों में भी रोशन कर रही है।


मानसी ने 2018 में राजकीय बालिका हाई स्कूल गोपेश्वर से व जीजीआईसी देहरादून से 2020 में इंटर किया। इसके बाद देहरादून के स्पोर्ट्स कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्हें महाराणा स्पोर्ट्स कॉलेज में भी प्रशिक्षण का अवसर मिला।
मानसी कहती है कि पहाड़ की पगडंडियों में प्रतिदिन स्कूल के साथ घर की जिम्मेदारियों ने उन्हें इस खेल के काबिल बनाया। देहरादून के स्टेडियम में अभ्यास के दौरान मानसी ने वॉक रेस के क्षेत्र में नाम कमाने की ठानी।


मानसी नेगी ने पिछले साल गुवाहाटी में 11 से 15 नवंबर तक आयोजित 37वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंडर-20 महिला वर्ग की 10 हजार मीटर वॉक रेस में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 47:30:94 मिनट में दौड़ पूरी कर रिकॉर्ड बनाया था। हाल ही में चीन में आयोजित हुए वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में मानसी नेगी ने कांस्य पदक जीत कर अपने देश व राज्य दोनों का नाम रौशन किया था।


वर्तमान में मानसी पंजाब के निजी विश्वविद्यालय से स्नातक कर रही है जहां विश्वविद्यालय उनकी पढ़ाई का स्वयं खर्च उठाता है। मानसी नेगी को उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीलू रौतेली पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनका कहना है कि इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने जो भी संघर्ष देखा उसमें उनकी मां ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया है। साथ ही कोच के बेहतर मार्गदर्शन से भी वह निरंतर आगे बढ़ती रही।

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