हल्द्वानीः उत्तराखंड का कसार देवी मंदिर पूरी दुनिया में अपनी असीम शक्तियों की वजह से काफी मशहूर है। कसार देवी की असीम शक्तियों से नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इस जगह के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है।
बता दें कि अल्मोड़ा से 5 किमी दूर स्थित कसार देवी मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। ऐसा माना जाता है कि दूसरी शताब्दी में बना यह मंदिर 1970 से 1980 की शुरुआत तक डच संन्यासियों का घर हुआ करता था। ऐसी मान्यता है की रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना करने वाले महान भारतीय संन्यासी स्वामी विवेकानंद ने इस मंदिर में एक बार ध्यान किया था। वहीं 1960 और 1970 के दशक में हिप्पी आंदोलन के दौरान यह एक लोकप्रिय स्थान था, जो गांव के बाहर, क्रैंक रिज के लिए भी जाना जाता है।
पर्यावरणविद डॉक्टर अजय रावत ने भी लंबे समय कसार देवी पर शोध किया है। उन्होंने बताया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में असिम समानताएं हैं। इस मंदिर की शक्तियों को महसूस करने के लिए हर साल पूरी दुनिया से लाखों पर्यटक यहां पर आते है। औ