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उत्तराखंड:मां फायरिंग शुरू हो गई है बाद में कॉल करूंगा,अब ये कॉल कभी नहीं आएगा

हल्द्वानी: बॉर्डर में तैनात फौजी के लिए उसकी जीवन देश के लिए होता है। परिवार के लिए कर्तव्य केवल छुट्टियों के दौरान निभाया जाता है लेकिन देश के लिए वह वक्त तैयार रहता है। जम्मू-कश्मीर में उत्तराखंड पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले दो जवान शहीद हो गए। उनकी पहचान गोकर्ण सिंह पिथौरागढ़ के थल के निवासी है और शंकर मेहरा गंगोलीहाट के रूप में हुई। जिस वक्त पाकिस्तान की ओर से फायरिंग शुरू हुई थी शरीद शंकर अपनी मां के साथ फोन पर बात कर रहे थे। उन्होंने मां से कहा कि फायरिंग शुरू हो गए है, मैं बाद में कॉल करता हूं… उसके बाद मां को बेटे का कोई कॉल तो नहीं आया लेकिन उसकी शहादत की खबर मिल गई। शंकर अपने पीछे मां, पिता, पत्नी और एक बेटे को छोड़कर हमेशा के लिए चले गए। उनकी पत्नी और बच्चे हल्द्वानी में रहते थे और लॉकडाउन के बाद पहाड़ गए थे।


गंगोलीहाट के नाली गांव निवासी शंकर सिंह (31) पुत्र मोहन सिंह को पूरा देश सलाम कर रहा है। उनका जन्म पांच जनवरी 1989 को हुआ था। जीआईसी चहज से इंटर करने के बाद 23 मार्च 2010 को सेना की 21 कुमाऊं में शामिल हुए। सात साल पहले उनका विवाह इंद्रा के साथ हुआ। उनका छह साल का बेटा हर्षित है। एक वर्ष पहले ही बेटे की पढ़ाई और स्कूल के चलते उन्होंने हल्द्वानी में किराए पर कमरा लिया था। शंकर की मां और इंद्र से रोजाना बात होती थी। शुक्रवार के दिन भी आया था। उन्होंने फोन पर बताया था कि बॉर्डर पर रोजाना गोलीबारी की घटना होती है।


इसी दौरान ही गोलीबारी हुई और शंकर ने मां से कहा कि फायरिंग शुरू हो गई है बाद में फोन करूंगा। इसके बाद शंकर सिंह की शहादत की खबर गांव में उसी दिन पहुंच गई थी लेकिन मां को इस बारे में नहीं बताया गया। ग्रामीणों का उनके निवास पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, तो उन्हें कुछ अनहोनी की आशंका हुई। उन्होंने पूछा कि कहीं उनके शंकर के साथ कुछ हुआ तो नहीं। फिर जब बेटे की शहादत की खबर उन्हें दी गई तो वह गश खाकर गिर पड़ीं। तब से वह पूरी तरह से बदहवास हैं। शंकर सिंह की पत्नी इंद्रा भी पति के शहीद होने की सूचना के बाद से बेसुध हैं। पिता मोहन सिंह खबर सुनने के बाद से गुमसुम हैं। बड़ी बहन मंजू भंडारी के भी भाई के शहीद की सूचना के बाद आंसू थम नहीं रहे हैं। शनिवार को बड़ी संख्या में लोगों ने शहीद के घर पहुंचकर सांत्वना दी।


बता दें कि शंकर सिंह का परिवार सैन्य पृष्ठभूमि का है। शहीद शंकर सिंह के दादा भवान सिंह द्वितीय विश्व युद्ध का हिस्सा रहे थे।। शंकर सिंह के पिता ने भी सेना में ही थे। राष्ट्रीय राइफल से उन्होंने वर्ष 1995 में सेवानिवृत्ति ली। पिता और दादा के नक्शेकदम पर शंकर सिंह और उनके छोटे भाई नवीन सिंह ने भी देश सेवा को ही लक्ष्य बनाया। शंकर सिंह के छोटे भाई नवीन सिंह सात कुमाऊं में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। शंकर जनवरी में छुट्टी पर घर आए थे। एक माह की छुट्टी पूरी करने के बाद ही फरवरी में यूनिट लौट गए थे।

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