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उत्तराखंड: मलबे में ढाई घंटे दबे रहे 75 वर्षीय गैणा सिंह ने मौत के मुंह से छीनी जिंदगी

उत्तराखंड: मलबे में ढाई घंटे दबे रहे 75 वर्षीय गैणा सिंह ने मौत के मुंह से छीनी जिंदगी

उत्तरकाशी: जीवन का चक्र कब शुरू होकर कब खत्म होगा, ये भगवान के सिवाय कोई नहीं जानता। मांडो गांव में बादल फटने से हुई तबाही में 75 वर्षीय गैणा सिंह मलबे में करीब ढाई घंटे दबे रहे। उम्मीद के विपरीत जब रेस्क्यू टीम ने मलवा हटाकर रेस्क्यू किया तो वे जीवित थे। मौत को मात देने की ये कहानी खूब चर्चा में है।

आपको याद होगा बीते रविवार को रात करीब 8.30 बजे उत्तरकाशी के मांडो गांव में बादल फटा। जिस कारण पानी और मलबे ने कई घरों को तबाह कर दिया। जानकारी के अनुसार इस घटना में तीन शव भी बरामद हुए। माहौल प्रलय से कम नहीं रहा होगा। लोग जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे थे।

इसी दौरान अपने भाई के बच्चों के साथ जीवन बिताने वाले गांव के ही 75 वर्षीय बुजुर्ग गैणा सिंह घर में सो रहे थे। उनके घर को भी मलबे व पानी ने तहस नहस कर दिया। गैणा सिंह के भतीजे ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो वह पानी की चपेट में आ गया। गनीमत रही कि बाकी लोगों ने उसे बचा लिया।

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लेकिन गैणा सिंह मलबे से दबे घर में ही फंसे रह गए। ढाई घंटे बाद माहौल शांत हुआ तो ग्रामीणों की जानकारी के बाद युवाओं और पुलिस जवानों ने बुजुर्ग को बाहर निकालने के लिए मलबे से पटा दरवाजा खोलने की कोशिश की। मगर असफल रहने के बाद उन्होंने पीछे का दरवाजा तोड़कर बुजुर्ग को बाहर निकाला।

बहरहाल बुजुर्ग को बाहर निकालने के बाद उन्हें 108 सेवा की मदद से अस्पताल भेजा गया। बता दें कि ढाई घंटे मलबे से दबे रहने के बावजूद 75 साल के बुजुर्ग ने मौत को मात दी। इतना ही नहीं वह सुरक्षित अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए हैं। यह खबर पूरे क्षेत्र व आसपास में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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