Editorial

उत्तराखंड में लूट सको तो लूट का नारा बुलंद

हल्द्वानी- उत्तराखंड में 15 फरवरी को एक चरण में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी हैं. ऐसे में राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों ने चाहे वो बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ने सत्ता पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अब राज्य में चुनाव प्रचार अंतिम दौर में है तो सियासी पारा बहुत चढ गया है। इन दोनों पार्टियों ने ही अभी तक उत्तराखंड में राज किया है और 16 सालों से सत्ता का सुख भोग रही हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में से एक की सरकार बनेगी ऐेसे कयास हैं,या कहें तय हैं। क्यो़कि ये दोनों पार्टियां यहां जीतने के लिए इतना दमखम लगाती हैं हम आपको बताते हैं। ये एक नारा इस देवभूमि में दोनो पार्टियों का रहा है और वो है ‘लूट सके तो लूट लो’ ये क्यों इतना प्रासंगिक है आप भी जानिए और समझिए।

नेपाल और चीन की सीमा से लगे पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के खनिज और प्राकृतिक संसाधनों पर सरकारी संरक्षण से माफियाओं का राज है।पहाड़ो की छाती को रोज़ चीरा जा रहा है।पत्थर,बालू और खड़िया का अवैध खनन चल रहा है।लूट सको तो लूट को नारा बुलंद है.नौकरियों में ज़बरदस्त भाई भतीजावाद चल रहा है। रिश्वत ली जा रही है। बिना विज्ञापन या यूं समझे कोई सूचना दिए बिना अपने रिश्तेदारों और पसंदीदा ठेकेदारों को अपने अपने विभागों में नौकरियां दी जा रही है और एक महानुभाव तो खुद को राज्य में गांधीवादी कहते फिरते हैं जबकि उनके काले चिट्ठों का कोई हिसाब ही नहीं है। राज्य में ट्रांसफर तक रुपयों में हो रहे हैं।खुलेआम ब्लैक में शराब मिल रही है। शराब कारोबारी दुकानों पर ओवर रेट शराब बेच रहे हैं। इसकी शिकायत मैं खुद मंत्री से संतरी तक कर चुका हूं पर इस मामले में विपक्ष के नेताओ में भी गहरी दोस्ती और सहमति है। बात करने पर संबधो की दुहाई देतें हैं।खुद सोचिए जब विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार जीतने के लिए फ्री में शराब और गुलाबी नोट बंटवा रहे हैं। ऐसे में उन लोगों पर क्या बीतती होगी जो लोग साल भर एमआरपी रेट से ज्यादा की तर्ज चुकाकर दुकानों से शराब खरीद रहे हैं।सनद रहे उत्तराखंड सरकार को आबकारी विभाग से भारी भरकम राजस्व मिलता है इसलिए यहां रेट पहले से बहुत ज्यादा है।

 

 

hemraj

हेमराज चौहान- टीवी पत्रकार

 

 

 

 

 

नोट- लेख में लेखक के व्यक्तिग्त विचार है

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