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हल्द्वानी: विकास के मार्ग को कूड़े की मार ! क्या इस माहौल में प्रैक्टिस करेंगे खिलाड़ी !!

हल्द्वानी:  कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी का विकास प्रदेश के विकास की दिशा तय करता है। ग्रीन सिटी के नाम से मशहूर शहर को ग्रीन रखने का प्रयास लंबे समय से होता आ रहा है। सबसे बड़ा मुद्दा सफाई का है। शहर की आबादी बढ़ रही है उसी के साथ कूड़े का भंडार भी। शहर में लगभग 3 लाख लोग रहते है और रोजाना 90 टन कूड़ा शहर में इक्कठा होता है, सफाई भी होती है लेकिन जहां ये कूड़ा फेका जाता है वो शहर के विकास की पहली सीढ़ी है। हम बात गौला बाईपास की कर रहे है जहां अंतराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी, चिड़ियाघर और नेशनल हाइवे के प्रोजेक्टों का निर्माण होना है। अंतराष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण तो हो चुका है और एक रेस्लिंग के इवेंट का भी आयोजन हुआ। अगर आप किसी शहर का ब्योरा देते हुए इन सभी चीजों का किसी से वर्णन करेंगे तो वो अपने दिमाग में शहर की  अच्छी छाप बनाएंगे। हल्द्वानी शहर के विकास के मार्ग पर तो हो लेकिन कई जगह पर कमियां सामने आ रही है।

 

गौला बाईपास के एक कोने पर पूरे शहर का कूड़ा इक्कठा होता है और फिर उससे जलाया भी जाता है।  इस कूड़ेदान से स्टेडिम की दूरी 2 किमी से भी कम होगी। क्या ये मुमकिन है कि स्टेडिम में आने वाले खिलाड़ी इस माहौल में  खेल सकते है?  खेल से शरीर में स्वस्थ रहता है लेकिन इस कूड़ेदान का धुआं खिलाड़ियों के लिए एक विश्वासघात ही है।  अंतराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी, चिड़ियाघर और नेशनल हाइवे शहर की शान बनेंगा और उसके पास इस तरह का माहौल शहर की छवि को धूमिल कर सकता है। पर्यावरण के साथ ही पास के लोगों की हेल्द के लिए भी ये जानलेवा साबित हो सकता है। बाजार की सफाई विकास के रास्ते की छवि को धूमिल कर रही है। प्रशासन को कूड़े का इस्तेमाल किसी उपयोग में लाने के विकल्प खोजने होंगे। कई राज्य कूड़े के भंडार से सड़क बनाने की तैयारी कर रहे है। हल्द्वानी शहर को ग्रीन सिटी बनाने का सपना जो प्रशासन के साथ जनता ने देखा है वो इस तरह के कदम से जरूर पूरा हो सकता है।

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