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क्वालिटी स्तर के विकेटकीपर बल्लेबाज बनाने के लिए विख्यात है हल्द्वानी क्रिकेट एकेडमी

हल्द्वानी: क्रिकेट में एक वक्त था जब टीम केवल स्पेशल विकेटकीपर उतारने पर दिलचस्पी लेती थी। इस लिस्ट में नयान मोंगिया, मोइन खान और मार्क बाउचर जैसे खिलाड़ी मौजूद है। क्रिकेट बदली, स्मार्ट सोच आगें आई और विकेटकीपरों ने पूरा क्रिकेट ही बदल दिया। 90 के दशक खत्म होते होते क्रिकेट को एक खिलाड़ी मिला नाम एडम गिलक्रिस्ट जिसने पूरे क्रिकेट की सोच को बदल डाला। एडम गिलक्रिस्ट अपनी विकेटकीपिंग स्किल के अलावा शानदार बल्लेबाज भी थे। इससे टीमों को बल्लेबाजी में मजबूती मिलने लगी और विकेटकीपर टीम की अहम कड़ी बनकर सामने आने लगे। साल 2003 में विश्वकप में राहुल द्रविड ने भी भारत के लिए यही काम किया और आगे का इतिहास महेंद्र सिंह धोनी ने लिख डाला। एडम गिलक्रिस्ट के अलावा महेंद्र सिंह धोनी , कुमार संगरकारा ,जोस बटलर ,ऋषभ पंत और ब्रेडन मैकुलम जैसे खिलाड़ियों ने अपने खेल से साबित किया कि मार्डन क्रिकेट में विकेटकीपर का मुख्य बल्लेबाज होना जरूरी है।

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अब विश्व क्रिकेट की कहानी बदल रही थी तो कैसे हल्द्वानी इससे पीछे रहता। हल्द्वानी क्रिकेटर्स एकेडमी के कोच व पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह बिष्ट ने इस मॉर्डन सोच को अपनी सफलता की कहानी बना दिया। ऐसा हम इसलिए बोल रहे है क्योकि हल्द्वानी क्रिकेट एकेडमी से क्रिकेट के गुण सिखकर कर बड़े स्तर पर कुछ युवाओं ने अपनी प्रतिभा को साबित किया। इस लिस्ट में दो ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने रणजी और अंडर-19 क्रिकेट में अपनी टीम के लिए विकेट के पीछे से मोर्चा संभाला।

हम बात कर रहे है भारतीय अंडर-19 विश्वविजेता टीम के सदस्य आर्यन जुयाल और ओडिशा से रणजी खेलने वाले सौरभ रावत की। दोनों ही खिलाड़ियों ने अपनी बल्लेबाजी से तो अपने टैलेंट का परिचय दिखाया, उसके अलावा विकेटकीपिंग में भी उन्हें भारत का भविष्य कहे जाने लगा। दोनों ही खिलाड़ियों को बीसीसीआई द्वारा आयोजित नेशनल कैंप के लिए भी कॉल आया।

आर्यन जुयाल: इस खिलाड़ी का जब अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली टीम में चयन हुआ था लोगों ने कई साल खड़े किए लेकिन उसके बल्लेबाजी के रिकॉर्ड ने आलोचकों को मुंह तोड़ जवाब दिया और अपना मुरीद बना दिया। हल्द्वानी के आर्यन ने मात्र 10 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश अंडर-14 रणजी टीम में जगह बनाई। उसके बाद इस खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। राज्य को मान्यता नहीं थी तो देहरादून से मुरादाबाद और फिर दिल्ली का सफर आर्यन ने अकेले तय किया। आर्यन ने अपने क्रिकेट के सपने को जिंदगी बनाने के लिए छोटी ही उम्र में घर छोड़ देहरादून का रुक कर लिया था। उससे पहले उन्होंने हल्द्वानी क्रिकेटर्स एकेडमी और हल्द्वानी स्पोर्ट्स स्टेडियम से क्रिकेट के गुण सीखे थे। देहरादून पहुंचकर ही उन्होंने अपनी विकेटकीपिंग पर भी काम किया।

जब ये खिलाड़ी नीली जर्सी में उतरा तो पूरा उत्तराखण्ड गर्व महसूस करने लगा। आर्यन ने विनू मांकड ट्रॉफी 2017 में सबसे ज्यादा रन बनाकर पूरे देश को अपनी बल्लेबाजी कला का हुनर दिखाया।विनू मांकड ट्रॉफी में वो उत्तर प्रदेश की ओर से सबसे ज्यादा 5 मैचों में 401 रन बनाए जिसमें 2 शतक और तीन अर्धशतक मौजूद थे।

Related imageअंडर-19 विश्वकप के बाद विजय हजारे ट्रॉफी के दो मैचों में आर्यन ने 48 की शानदार औसत से 98 रन बनाए। इसमें एक फिफ्टी भी मौजूद है। विजय हजारे में आर्यन की दोनों पारियां उस वक्त सामने आई जब आधी टीम 100 रनों से पहले पवेलियन लौट गई थी। आर्यन के इस प्रदर्शन से सुरेश रैना भी उनके दिवाने हो गए ।

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सौरभ रावत: इस खिलाड़ी के लिए क्रिकेट सफर उत्तराखण्ड से शुरू होते हुए दिल्ली ,कर्नाटक के बाद ओडिशा में जाकर थमा। प्रतिभा ऐसी थी कि ओडिशा ने डेब्यू करते ही उन्हें अपनी अंडर-19 टीम का कप्तान बना दिया। साल 2016 में ओडिशा के लिए रणजी में पर्दापण करने वाले इस बल्लेबाज ने पहले ही सीजन में मजबूत टीमों के खिलाफ दो फिफ्टी मार अपनी बल्लेबाजी की कला सामने रखी।

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सौरभ ने अपने 11 प्रथम श्रेणी मैचों में विकेटकीपर के तौर पर 22 कैच और 3 स्टम्पिंग भी की। बात दें कि साल 2015/2016 में सौरभ ने ईस्ट जोन से खेलते हुए दो फिफ्टी (95* और 70*) की बदौलत मात्र 4 मैचों में 200 रन बनाए। इस प्रदर्शन के बाद ही सौरभ को एनसीए और रणजी का बुलावा आया।

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 दोनों युवा खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से कोच महेंद्र सिंह बिष्ट से संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि दोनों के अंदर अतिरिक्त जिम्मेदारी लेने का माद्दा था इसी वजह से उन्हें बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग में सफलता मिली। राज्य के क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं है उसके बाद भी खिलाड़ी राज्य का नाम रोशन कर रहे है। विकेटकीपिंग मौजूदा वक्त में क्रिकेट में संतुलन बनाए हुए है।

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हर मजबूत टीम के पास शानदार विकेटकीपर बल्लेबाज है और ये इस खेल का मुख्य हथियार बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सौरभ और आर्यन का सफर अभी शुरू हुआ है, मौका मिलने पर दोनों उच्चकोटि की क्रिकेट खेल भारतीय टीम में जगह बनाने में जरूर कामयाब होंगे।

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