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अब बदलेंगे दिन, मान्यता के बाद क्रिकेट जगत में उत्तराखण्ड बनाएगा पहचान: कोच दान सिंह भंडारी

हल्द्वानी: क्रिकेट पूरे देश को जोड़ता है। यह एक ऐसा मजबूत बंधन है जिसके दिल में केवल एक ही आवाज बसती है और वो है इंडिया-इंडिया। फैंस के लिए खिलाड़ी भगवान का रूप ही है। क्रिकेट को लेकर उत्तराखण्ड कभी पीछे नहीं रहा है। राज्य क्रिकेट के लिए 18 जून का दिन स्वर्णिम रहा क्योंकि बीसीसीआई ने दो दशक के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता दी।

राज्य क्रिकेट को मान्यता मिल गई है अब खिलाड़ियों को पहले से ज्यादा अवसर मिलेंगे और उन्हें दूसरे स्टेट पर भी निर्भर नहीं रहना होगा। इस मामले में हल्द्वानी क्रिकेटर्स क्लब/हल्द्वानी क्रिकेट एकेडमी के कोच/नैनीताल जिला क्रिकेट संघ सचिव/ उत्तराचंल क्रिकेट एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य दान सिंह भंडारी ने मान्यता को मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने कहा कि इस मान्यता के पीछे दो पीढ़ी आगे बड़े स्तर पर नहीं बढ़ सकी।

कई शानदार खिलाड़ियों को मंच नहीं मिला जिससे उनके खेल को उड़ान नहीं मिल सकी। अब दिन बदले है राज्य में हजारों क्रिकेटरों के संघर्ष के बाद मान्यता मिली है। कोच दान सिंह भंडारी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड क्रिकेट प्रतिभाओं के लिए धनी रहा है। मान्यता ना मिलने के बाद भी राज्य के कई खिलाड़ी भारतीय टीम व उच्च लेवल की क्रिकेट खेल रहे हैं।

साल 2005 में जब हमनें हल्द्वानी क्रिकेटर एकेडमी/ हल्द्वानी क्रिकेट एकेडमी की नींव रखी थी तो हमारा एक मकसद का था कि युवाओं को किसी भी हालात में आगे पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि एचसीए से निकलकर आर्यन जुयाल, देवेंद्र कुंवर, सौरभ रावत और दिग्शांशु नेगी ने क्रिकेट के मैदान पर अपना नाम कमाया। ये सभी खिलाड़ी आने वाली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल है, क्योंकि अब क्रिकेट के मैदान पर संघर्ष बढ़ेगा लेकिन इन खिलाड़ियों ने क्रिकेट के मैदान पर खेलने के लिए संघर्ष किया है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड को मान्यता ना मिलने से खिलाड़ियों को दूसरे स्टेट का रुख करना पड़ा।

खिलाड़ियों के साथ कोच दान सिंह भंडारी

हमारे सपनों को बच्चों के द्वारा पूरा करवाना है। उन्होंने कहा कि खेल में पीछे मुड़कर देखने की कोई जगह नहीं होता है। वैसे ही हमें अब 18 साल पीछे देखने की जरूरत नहीं है। हमारे सामने हजारों युवा खिलाड़ी है जिन्हें आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठानी होगी। क्रिकेट टीम वर्क है और एसोसिएशन भी टीम की तरह की काम करती है। कोच दान सिंह भंडारी ने कहा कि अब युवाओं की चुनौतियां बढ़ गई है, इससे खेल भी अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि कोच के रूप में भी मान्यता का बड़ा रोल है। अब राज्य के कोच को दूसरे स्टेट के लिए बच्चे को तैयार करने की जरूर नहीं, अपने घर से खिलाड़ी बड़े स्तर तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में नीली जर्सी पहनने का अवसर कुछ ही खिलाड़ियों को मिलता है लेकिन अगर आप खेल से जुड़े है तो उसके प्रति सच्चाई हमेशा जीवित रहती है।

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