हल्द्वानी: नगर निगम के आगे मुश्किलें कई सारी हैं। इन्हीं परेशानियों में एक बार फिर कुछ वृद्धि हुई है। दरअसल सीएम तीरथ सिंह रावत की टैक्स संबंधी घोषणा के बाद नगर के लोग अपने जमा किए टैक्स वापस मांगने की गुहार लगाने लगे हैं।
हुआ यह कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के राज में नगर निगम से जुड़े नए वार्डों के आवासीय भवनों को टैक्स से राहत दी गई। जिसके बाद केवल व्यवसायिक भवनों से टैक्स लेना शुरू कर दिया गया। अब मार्च में निवनियुक्त शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने इस फैसले में तब्दीली की बात कही। उनके अनुसार व्यावसायिक टैक्स भी माफ किया जाना चाहिए। सीएम रावत ने बुधवार को इस बारे में घोषणाभी कर दी।
घोषणा का असर ऐसा हुआ कि जिन लोगों ने टैक्स पहले से ही जमा कर दिया, उन लोगों ने नगर निगम से गुहार लगाना शुरू कर दिया। अब एक हिसाब से पांच हज़ार से अधिक व्यावसायियों को इस से राहत ज़रूर मिलेगी। मगर नगर निगम की हालत पर प्रभाव उल्टा पड़ सकता है। लोग नगर आयुक्त के पास जाकर टैक्स वापसी की मांग कर रहे हैं।
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नगर निगम की मौजूदा हालत खराब होने के कारण साफ हैं। कोरोना काल में हाट बाज़ार नहीं लगने से 50 लाख की आय प्रभावित हुई। फिर नए वार्डों के सफाई कर्मियों के लिए सालाना 18 लाख की ज़रूरत है।
साथ ही स्ट्रीट लाइटों के लिए सालाना 1.50 करोड़ रुपए चाहिए होंगे। इसके अलावा सफाई वाहन खरीद के लिए 5.5 करोड़ लोन का 5.57 लाख मासिक ब्याज भुगतान भी एक अड़ंगा है। ऐसे में सीएम की घोषणा से नगर निगम को खासा परेशानी हो सकती है।
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बता दें कि हल्द्वानी में 2020-21 से लागू हुए व्यावसायिक टैक्स को जमा करने के लिए नगम ने 31 मार्च तक के लिए 25 फीसदी छूट दी थी। इसलिए लोगों ने फटाफट करीब 12.50 लाख रुपए के टैक्स जमा कर दिए। इधर निगम ने छूट की सीमा 30 अप्रैल तक बढ़ाई तो सीएम ने माफी की घोषणा कर दी। अब लोग टैक्स वापस मांग रहे हैं।
लिहाजा देखा जाए तो छोटे व्यवसायियों का तो इस घोषणा से फायदा दो-चार हज़ार का ही होगा। मगर करोड़ों कमाने वाली बड़ी ईकाइयों की मौज आ जाएगी। कई बड़े अस्पताल या मॉल करीब डेढ़ से दो लाख टैक्स देने के लिए चिन्हित हैं मगर ऐसे में इन सबको बड़ा फायदा होगा। नगर आयुक्त हल्द्वानी सीएस मर्तोलिया ने बताया कि अभी शासनादेश नहीं आया है। आदेश के बाद ही कार्यवाही होगी। साथ ही अगर आदेश आता है तो शासन से प्रतिपूर्ति की मांग की जाएगी।
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