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HPMI संस्था के खेती के फॉर्मूले से हल्द्वानी के किसानों के बदलेंगे दिन, दोगुनी कमाई का सपना होगा साकार

देहरादून: हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम पर आधारित वर्टिकल फार्मिंग के अंतर्गत एचपीएम आई संस्था की ओर से प्रति वर्ग मीटर अधिक उत्पादन के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इस दौरान मुख्य रूप से इस तकनीक से कृषि करने पर पानी की आवश्यकता केवल 10 फीसदी रह जाती है, क्योंकि उसी पानी को रिसाइकल कर पुनः इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही किसी भी प्रकार के कीटनाशक का भी इस्तेमाल इस तकनीक में नहीं किया जाता।

उक्त लाभों को देखते हुए यह तकनीक भविष्य में कृषि क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी एवं पहाड़ की भौगोलिक स्थिति एवं पानी की उपलब्धता देखते हुए अत्यधिक लाभकारी होगी। इस परियोजना के द्वारा हरी सब्जियाँ जैसे कि पालक, सलाद वर्गीय सब्जियाँ, फूलगोबी, पत्ता गोबी, ब्राॅक्ली, के साथ साथ टमाटर, कैप्सीकम एवं खीरा जैसी सब्जियों का उत्पादन किया जायेगा, इसमें किसी भी तरह का रासायनिक खाद्य एवं हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से किसानों में जागरूकता विकसित की जाएगी और उनको प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि वो इसको अपनाकर अपनी उन्नति कर सकें।

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इस संबंध में एचपीएमआई संस्था के अध्यक्ष डाॅ. सत्येन यादव ने पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि वर्टिकल फार्मिंग तकनीक से उत्पादन लगभग 7-8 गुना अधिक किया जाता है , एवं सामान्य रूप से 10 फसल चक्र एक वर्ष में निकाले जाते है। इस प्रोजेक्ट को हल्द्वानी शहर के ही व्यवसायी श्री प्रमोद जैन द्वारा शुरू किया जा रहा है , जिसे भविष्य में बड़े स्तर पर व्यवसायिक फार्म के रूप में विकसित किया जाएगा।


इस पायलट प्रोजेक्ट को 60 दिनों के समय में पूरा किया जाएगा, और उत्तराखंड के कृषिउद्यमियों, किसानों तथा विशेष रूप से छोटे और मंझले किसानों के लिए कई अवसर खोलेगा। 500 वर्ग मीटर नियंत्रित पॉलीहाउस आसानी से प्रति वर्ष 8 से 9 लाख का लाभ दे सकता है। 5000 रुपये वर्ग के निवेश के साथ इस परियोजना में पूरी तरह से स्वचालित प्रणाली द्वारा खाद्य और सिंचाई की व्यवस्था होगी और आवश्यकता पड़ने पर अधिक उत्पादन के लिए एल0ई0डी0 लाईट का भी उपयोग किया जाएगा। वही इस मौके पर सीए नीरज शारदा भी उपस्थित रहे, जिन्होंने एचपीएम आई संस्था की इस पहल का स्वागत किया।

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