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उत्तराखंड:वायू सेना में शामिल होंगी निधि बिष्ट,देश सेवा के लिए ठुकराए नौकरी के कई मौके

उत्तराखंड:वायू सेना में भर्ती होंगी निधि बिष्ट,देश सेवा के लिए ठुकराए नौकरी के कई मौके

देहरादून: कला, हुनर, हौसला, धैर्य, दृढ़ संकल्प, बेटियों में ये सब है। देवभूमि की बेटियों में हर फील्ड में उतर कर फतेह हासिल करने की शक्ति है। नया उदाहरण है राजधानी के एक साधारण परिवार की बेटी निधि बिष्ट का। निधि बिष्ट भारतीय वायू सेना में अफसर बनने को तैयार हैं। 19 जून को हैदराबाद स्थित एयर फोर्स एकेडमी से पासआउट होकर वह फ्लाइंग ऑफिसर बन जाएंगी। सिविल सर्विस का सपना लिए सफऱ की शुरुआत हुई ज़रूर थी मगर अब निधि ने देश सेवा करने के लिए सेना में शामिल होना बेहतर समझा।

सन 1996 में पौड़ी के अस्वालस्यूं क्षेत्र महड़ गांव निवासी ऊषा बिष्ट और अनिल बिष्ट के घर जन्मीं निधि बिष्ट बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रही। उनकी प्रारंभिक शिक्षा श्रीनगर स्थित चौरास के सैंजो स्कूल से हुई। उन्होंने 12वीं की पढ़ाई देहरादून के डीएवी पब्लिक स्कूल से की। दिल्ली विवि से स्नातक करने के बाद वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) से स्नातकोत्तर और पीएचडी की। इतना ही नहीं इसके बाद निधि बिष्ट के पास वानिकी अनुसंधान में ही जुड़े रहकर सैटल होने का अच्छा मौका था। लेकिन उनकी निगाहें देश सेवा को लक्ष्य बनाकर देख रही थीं।

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हालांकि निधि बिष्ट सिविल सेवा में जाकर देश सेवा करनी चाहती थीं। लेकिन वक्त बदला और वक्त ने अपने साथ निधि के सपने भी बदले। सपने ज़रूर बदले लेकिन देश सेवा करने का ख्याल मन में अमिट रहा। अब निधि ने भारतीय सेना में जाकर देश सेवा करने का मन बना लिया। जब उन्होंने परिवार से ये बात साझा की तो घरवालों ने उनके मनोबल को देखते हुए हामी भर दी। साथ ही निधि का हौसला भी बढ़ाया। निधि ने आसानी से एयर फोर्स कामन एडमिशन टेस्ट (एफकैट) पास कर लिया और पिछले साल अगस्त माह में वह 11 माह के प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद चली गईं।

निधि का परिवार इस समय देहरादून के केदारपुरम में रहता है। उनकी मां ऊषा बिष्ट गृहणी हैं और पिता अनिल बिष्ट निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। वहीं, छोटे भाई पीयूष बिष्ट का फास्ट फूड संबंधी कारोबार है। निधि की मां ऊषा बिष्ट कहती हैं कि उनके परिवार के लिए इससे अधिक खुशी की बात कुछ नहीं हो सकती। बस दो दिन का इंतजार है फिर दून की यह बेटी वायू सेना की वर्दी पहनेगी। वाकई उत्तराखंड को गर्व के पल देने में जितना हाथ बेटों का रहा है, उतनी ही भागीदारी बेटियां भी निभा रही हैं।

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