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पैरालम्पिक में भारत को स्वर्ण और कांस्य पदक,मरियप्पन थंगावेलू और वरूण भाटी ने रचा इतिहास

रियो डि जिनेरियो।  रियो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप बिल्कुल भी नही रहा था लेकिन पैरालम्पिक में भारतीय खिलाड़ी अपनी कामयाबी से उस दर्द को दूर करने की कोशिश में लगे है। पैरालम्पिक के  एक इवेंट में भारत को गोल्ड और कांस्य पदक मिला है। मरियप्पन थंगावेलू ने इतिहास रचते हुए टी42 हाई जंप में गोल्ड हासिल किया । वही दूसरी और इसी इवंट में वरूण भाटी ने कांस्य पदक जीता। मरियप्पन स्वर्ण जीतने वाले तीसरे भारतीय बन गए है।मरियप्पन को पैरालम्पिक के शुरू होने से पहले ही भारतीय उम्मीद का सबसे बड़ा अंग माना जा रहा था और स्वर्ण पदक जीत उन्होंने देश और अपने नाम को अमर कर दिया है।

मरियप्पन के अपंग होने की कहानी बड़ी दर्दनाक है। पांच साल की उम्र में स्कूल जाते समय तेज रफ्तार बस से टक्कर होने के कारण मरियप्पन  अपना दाहिना पैर गंवा बैठे।   थंगावेलू ने शानदार जंप दिखाते हुए 1.89 मीटर की कूद लगाकर पीला तमगा अपने नाम किया। इससे पहले भारत के लिये पैरालम्पिक में मुरलीकांत पेटकर (1972, हेडेलबर्ग , तैराकी) और देवेंद्र झझारिया (2004, एथेंस, भाला फेंक) ने पैरालम्पिक में गोल्ड मेडल जीता भारत के सपने को सच किया था।

दूसरी ओर इसी इवंट में भारत के वरूण भाटी को तीसरा स्थान मिला। उन्होंने  अमेरिका के विश्व चैम्पियन सैम ग्रीव को कड़ी टक्कर दी। दोनों ही खिलाड़ियों का प्रयास 1.86 मीटर था  लेकिन काउंट बैक में उन्हें कांस्य  मेडल से संतोष करना पड़ा। पैरालम्पिक में एक ही स्पर्धा में दो भारतीय पोडियम पर रहे और ये भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ है। इस तरह के क्षण देश को गौरवान्वित करने के काफी है।

भारतीय खिलाड़ियों के शानदार खेल और दोनों की कामयाबी ने उन लोगों को चांटा मारा है जो उन्हें किसी काम का नही सझते थे। हम पूरे हल्द्वानीलाइव परिवार की ओर से  मरियप्पन थंगावेलू और वरूण भाटी को बधाई देते है। इस तरह की कामयबी कई लोगों के जीवन को गति देने में सहायक होती है।

 

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