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तीन महीने के बेटे को शहीद के पार्थिव शरीर ने दिया आर्शीवाद और फिर निकली शव यात्रा

हिसार: सैनिकों की जिंदगी का हर मोड़ भावनाओं से जुड़ा होता है। परिवार उनका भी होता है वो उनके लिए कमाते हैं लेकिन जिंदगी तो देश के लिए होती है। हिसार के सैनिक की कहानी ने पूरे देश की आंखों पर आंसू ला दिए। अब  बंद आंखों से तीन माह के बेटे को आर्शावाद दिया और अंतिम यात्रा पर निकल पड़े। किसको दोष दे वक्त तो या जिंदगी को जो बेटे को देखने के लिए अपनी आंखे नहीं खोल पाई।

संदीप सिंह पूनिया का अंतिम संस्कार

गांव सातरोड़ खुर्द निवासी सैनिक संदीप सिंह पूनिया जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गए। बताया जा रहा है कि  संदीप सुबह ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे और उन्हें हार्ट अटैक आ गया। उनके साथी उन्हें अस्पताल भी लेकर गए, लेकिन तब तक उन्होंने दम तोड़ दिया। शुक्रवार शाम को सैनिक संदीप का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सातरोड़ खुर्द लाया गया। यहां नम आंखों से उन्हें विदाई दी गई। ग्रामीणों ने संदीप के सम्मान में नारे भी लगाए।

तीन महीने के बेटे को दिया आर्शीवाद

संदीप सिंह पूनिया का अंतिम संस्कार

सैनिक संदीप सिंह पूनिया का तीन महीने का बेटा है। इस घटना के बाद पूरे घर पर मातम छा गया है। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। हर कोई ये ही बोल रहा है काश संदीप अपने बेटे को देख पाता। बेटे के जन्म के दौरान संदीप घर पर नहीं था तो  परिजनों ने बच्चे के जन्म पर छोटा सा जलवा पूजन का कार्यक्रम किया था।

2011 में हुई थी सेना में हुआ था भर्ती

संदीप सिंह पूनिया का अंतिम संस्कार

संदीप का नाम 29 जून 1992 को गांव सातरोड़ खुर्द में हुआ। उनके पिता जी का नाम  बलबीर सिंह पूनिया है। उनके घर में  संदीप और मंदीप जुड़वां बेटे पैदा हुए। बड़े बेटे संदीप 2011 में भारतीय सेना में स्टोरकीपर के तौर पर भर्ती हुए थे। उनका रैंक एसईपी था। संदीप करीब ढाई साल पहले जम्मू-कश्मीर में तैनात हुए थे।

संदीप सिंह पूनिया का अंतिम संस्कार

इससे पहले वो पश्चिम बंगाल में थे। परिवार वालों ने बताया कि संदीप पांच महीने पहले ही करीब 20 दिन की छुट्टी पर आखिरी बार गांव आए थे। संदीप के पिता बलबीर सिंह महाराष्ट्र के नागपुर में ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। करीब 15 सालों से उनका परिवार नागपुर में ही रहता है। संदीप की शादी 20 अप्रैल 2016 को चरखी दादरी के गांव कलाली निवासी रेखा के साथ हुई थी। तीन महीने पहले ही संदीप पिता बने थे। संदीप के दादा स्व. टेकचंद भी सेना से सूबेदार के तौर पर रिटायर्ड हुए थे।

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