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नहीं रहे सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर, मुंबई में ली आखिरी सांस

नई दिल्ली: भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर का बुधवार मुंबई में निधन हो गया। वो लंबे वक्त से बीमार थे। उनकी उम्र 87 साल थी।  उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया। उनके रिश्तेदार रश्मि दलवी ने पीटीआई को बताया,‘आचरेकर सर हमारे बीच नहीं रहे। उनका आज शाम निधन हो गया।’

विश्व क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर को पिछले 100 सालों का सबसे बड़ा सितारा कहा जाता है। ऐसा सितारा जिसने क्रिकेट के मैदान पर 100 शतकों का रिकॉर्ड अपने नाम किया। जिसे क्रिकेट ने भगवान का दर्जा दिया। सचिन की कामयाबी के बारे में जितने बार बात होती थी उनके कोच रमाकांत आचरेकर का नाम सामने आता रहा। खुद सचिन ने हमेशा अपनी कामयाबी के पीछे आचरेकर सर का हाथ बताया है। आचरेकर सर उन्हें अपने बेटे की तरह मानते थे। सचिन अधिक से अधिक मैच खेल सकें इसके लिए वो उन्हें अपने स्कूटर में बैठकर मैदान पर ले जाते थे।

वर्ष 1990 में उन्हें भारत सरकार ने द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके 20 साल बाद 2010 में उन्हें तत्कालीन राष्टपति प्रतिभा पाटिल ने देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी नवाजा था।  932 में जन्में आचरेकर का बतौर खिलाड़ी उनका करियर उतना विख्यात नहीं रहा। क्रिकेट में दुनियाभर में उन्होंने प्रसिद्धी कोच के रूप में हासिल की खासकर क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के कोच के रूप में जिनकी देखरेख में सचिन ने बल्लेबाजी के अधिकांश रिकॉर्ड अपने नाम किए।

1945 में आचरेकर ने मुंबई के न्यू हिंद क्रिकेट क्लब की ओर से खेलना शुरू किया। वो यंग महाराष्ट्र इलेवन, गुलमोहर मिल्स और मुंबई पोर्ट्स की तरफ से भी क्रिकेट खेले थे। क्रिकेट करियर में आचरेकर केवल एक प्रथम श्रेणी मैच खेल सके थे। उन्होंने साल 1963-64 में मोइन उद्दौला कप के दौरान ऑल इंडिया स्टेट बैंक और हैदराबाद के बीच खेले गुए मुकाबले में शिरकत की थी।

आचरेकर सर ने अपने कैरियर में सिर्फ एक प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन उन्होंने सर डॉन ब्रेडमैन के बाद दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर तेंदुलकर को तलाशने क्रिकेट को तोहफा दिया। क्रिकेट को अलविदा कह चुके तेंदुलकर के नाम बल्लेबाजी के लगभग सारे रिकार्ड है । उन्होंने टेस्ट में सर्वाधिक 15921 और वनडे में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाये हैं ।

आचरेकर उनके बचपन के कोच थे और तेंदुलकर ने अपने कैरियर में उनकी भूमिका का हमेशा उल्लेख किया है। आचरेकर यहां शिवाजी पार्क में उन्हें क्रिकेट सिखाते थे ।तेंदुलकर ने पिछले साल एक कार्यक्रम में अपने कैरियर में आचरेकर के योगदान के बारे में कहा था, ‘सर मुझे कभी ‘वेल प्लेड’ नहीं कहते थे लेकिन मुझे पता चल जाता था जब मैं मैदान पर अच्छा खेलता था तो सर मुझे भेलपुरी या पानीपुरी खिलाते थे।’ बता दें कि एक वक्त में आचरेकर सर के तीन शिष्य सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली और प्रवीण आमरे एक साथ खेल रहे थे।

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