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तीन विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर हल्द्वानी के प्रकाश ने बढ़ाया देवभूमि का मान

हल्द्वानी: शहर में प्रतिभा की कमी नहीं है। कुछ लोग तो अपने शौक के आगे हर चीज को छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। कुछ तमाम काम के साथ अपनी कला को निखारने का वक्त देते हैं और इतिहास रचते हैं। ऐसी ही है हल्द्वानी हल्दूचौड़ के रहने वाले प्रकाश उपाध्याय की। प्रकाश डॉ. सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में बतौर आर्टिस्ट कार्यरत हैं। 46 साल की उम्र में भी उन्हें अपनी कला से प्यार है और वह अभी तक अपने खाते में 3 विश्व रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं।

सबसे छोटी पेंसिल

प्रकाश उपाध्याय द्वारा 0.5 गुणा 0.5 गुणा 5 मिमी साइज की एचबी पेंसिल तैयार की चुकी हैं। उन्होंने साल 2017 में इसे असिस्ट व‌र्ल्ड रिकॉ‌र्ड्स रिसर्च फाउंडेशन को भेजा था। जिसे 2017-18 के रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया है। फाउंडेशन द्वारा प्रकाश को सर्टिफिकेट और अवार्ड देकर सम्मानित किया है। उन्हें पेसिंल बनाने में केवल 3 से 4 दिन लगे। उन्होंने पेंसिल बनाने के लिए माचिस की तीली का इस्तेमाल किया। प्रकाश मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लॉक के रहने वाले हैं। इससे पहले भी वह अपनी प्रतिभा के वजह से सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने पेंसिल से पहले सबसे छोटी (3 गुणा 4 गुणा 4 मिमी) हस्त निर्मित पुस्तक लिखने का रिकॉर्ड इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया। विश्व की सबसे छोटी हस्त निर्मित धार्मिक पुस्तक ‘हनुमान चालीसा’ (3 गुणा 4 गुणा 4 मिमी) यूनिक बुक ऑफ रिकॉर्ड में प्रकाश के नाम ही दर्ज है। साल 2016 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने वाली विश्व की सबसे लंबी बनाने वाली भारतीय टीम में उपाध्याय बतौर वरिष्ठ आर्टिस्ट शामिल रहे थे।

प्रकाश यहीं पर रुकने वाले नहीं हैं। अभी कामयाबी की लिस्ट वक्त के साथ तेजी से आगें बढ़ने वाली है। उन्होंने विश्व के सबसे छोटे चर्खे (5 गुणा 5 गुणा 6 मिमी) को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने भेजा है। जबकि विश्व के सबसे छोटे पानी के जहाज को एवरेस्ट बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए आवेदन वह कर चुके हैं। यह जहाज 0.20 गुणा 0.50 गुणा 1.50 सेमी आकार की बोतल के भीतर स्थापित किया गया है। प्रकाश की प्रतिभा ने साबित कर दिया है कि वह अपनी उम्र को कामयाबी के रास्ते आने नहीं देंगे। प्रकाश की उम्र 47 साल है लेकिन उनकी अपने कार्य को लेकर ललक किसी युवा से कम नहीं हैं। प्रकाश की सफलता की यह कहानी लाखों युवाओं को प्रेरित करेगी और उम्र को किसी भी कार्य का बहाना बनाने से रोकेगी।

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