हल्द्वानी: कोरोना काल के कारण राज्य को काफी आर्थिक नुकसान हुआ। इसकी बड़ी वजह फैक्ट्रियों का बंद पड़ा संचालन भी रहा। क्योंकि हर एक तरह का संचालन ठप पड़ा था इसलिए फैक्ट्रियों के संचालन पर भी रोक लगा दी गई थी। बहरहाल अब सभी फैक्ट्रियां दोबारा खुल चुकी हैं या धीरे-धीरे खुलना शुरू हो रही हैं। इसी बीच श्रम आयुक्त दीप्ति सिंह की ओर से मंगलवार को एक और अहम आदेश जारी किया गया है।
अब प्रदेश में संचालित फैक्ट्रियां अपने कर्मचारियों से ओवरटाइम भी करा सकती हैं। श्रम विभाग ने बकायदा इसके लिए 4 घंटे का समय निर्धारित किया है। बता दें कि फैक्ट्री प्रबंधनों ने विभाग के सामने आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसको संज्ञान में लेते हुए यह फैसला लिया गया है। बहरहाल कारखाना अधिनियम में दी गई शर्तों के अधीन ओवरटाइम की यह व्यवस्था 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगी।
दरअसल कोरोना के आने के बाद लगे लॉकडाउन से फैक्ट्रियों को काफी घाटा हुआ था। इसके बाद लॉकडाउन में थोड़ी ढील मिली तो धीरे-धीरे फैक्ट्रियों में काम होना शुरू हुआ। हालांकि शासन की गाइडलाइन के अनुसार आधे स्टाफ को ही काम करने की परमिशन दी गई थी। इस दौरान कर्मचारी ओवरटाइम भी नहीं कर सकते थे। क्योंकि शासन ने आदेश नहीं दिए थे।
इधर सभी सेवाओं के धीरे धीरे शुरू होने के साथ ही इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी काम की अधिकता होने लगी। इसी बात को देखते हुए फैक्ट्री प्रबंधकों ने अधिक कर्मचारियों का हवाला देते हुए श्रम विभाग को कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 51, 52, 54, 55 और 56 के नियमों के तहत प्रत्येक तिमाही अतिकाल कार्य यानी ओवरटाइम कराए जाने के लिए छूट प्रदान करने से संबंधित आवेदन पेश किए थे। जिस पर अब श्रम आयुक्त दीप्ति जोशी ने संज्ञान लेते हुए आदेश जारी कर दिए हैं।
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अब फैक्ट्रियां अपने प्रबंधकों से ओवरटाइम करा सकेंगी। जरूरी बात यह है कि फैक्ट्रियों को अपने कर्मचारियों को ओवरटाइम के लिए दोगुना भुगतान करना होगा। उप श्रम आयुक्त नैनीताल विपिन कुमार ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ओवरटाइम की अवधि 4 घंटे रखी गई है।
बताया कि 8 घंटे का नार्मल काम और 4 घंटे ओवरटाइम किया जाएगा। कर्मचारियों से ओवरटाइम कराने के एवज में फैक्ट्री प्रबंधकों को प्रति घंटे के अनुसार कुल तय दर का दोगुना भुगतान करना होगा। बता दें कि श्रम विभाग के अप्रैल से जून 2019 की अवधि के आंकड़ों के तहत राज्य में करीब 3450 फैक्ट्रियां सुचारू रूप से चल रही हैं। जिनमें तकरीबन 5.50 लाख श्रमिक काम कर रहे हैं।
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