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ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन रोकने को भारत समेत 197 देश हुए सहमत

नई दिल्ली। शनिवार का दिन जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में काफी अहम साबित हुआ। इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत सहित करीब 197 देशों ने जलवायु पर असर डालने वाले एचएफसी का इस्तेमाल कम करने के मुद्दों पर गहन चर्चाओं के बाद शनिवार इस बारे में कानूनी रूप से बाध्य एक ऐतिहासिक समझौता किया।

एचएफसी यानी हाइड्रोफ्लोरो कार्बन ग्रीन-हाउस प्रभाव पैदा कर वायुमंडल का ताप बढाने के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड से हजार गुना खतरनाक है। दुनिया भर से जुटे वार्ताकारों एवं नीति नियंताओं ने यहां शनिवार पूरी रात तक बैठकें कीं। इन वार्ताओं में एचएफसी के इस्तेमाल को कम करने के लिए मांट्रियाल संधि में संशोधन के प्रस्ताव पर मतभेद दूर कर संबंधित किगाली संशोधन पर सहमति बनी।

मांट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन के लिए यहां 197 देशों ने नया समझौता किया। यह प्रोटोकॉल उन तत्वों से संबंधित है जिनके कारण ओजोन की परत कमजोर हो रही है। इसके कमजोर पड़ते रहने से सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियत तक की वृद्धि हो सकती है। समझौते से इसपर रोक लगने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि इस मसले पर विकासशील देश दो खेमों में बंट गए हैं। पहला गुट समझौते पर 2024 से और दूसरा 2028 से अमल शुरू करेगा। भारत, ईरान, इराक, पाकिस्तान और खाड़ी के देश दूसरे गुट में शामिल हैं। गर्म जलवायु और लगातार बढ़ते मध्यवर्ग के चलते विकासशील देशों ने अतिरिक्त समय की मांग की थी। आपको बता दें कि एचएफसी गैसें, कार्बन डाइऑक्साइड से 14 हजार गुना से भी ज्यादा खतरनाक होती हैं।

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