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उत्तराखंड:ऐपण गर्ल ने खोजा पलायन का तोड़,IDEA लेकर ताड़ीखेत लौटीं मीनाक्षी खाती

उत्तराखंड:ऐपण गर्ल ने खोजा पलायन का तोड़,IDEA लेकर ताड़ीखेत लौटीं मीनाक्षी खाती

अल्मोड़ा: पलायन एक ऐसा दीमक है जो गांवों को खाली कर रहा है। हालांकि कोरोना महामारी के कारण बहुत से ऐसे प्रवासी गांव वापस लौटे हैं जो बड़े शहरों में कमाने के लिए गए हुए थे। मगर फिर भी पलायन का मुद्दा अब भी बड़ा है। इसी दीमक को खत्म करने का बीड़ा ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती ने उठाया है। मीनाक्षी ‘रिवर्स पलायन’ का मुद्दा लेकर अपने पैतृक गांव मेहलखंड वापस पहुंची हैं। वे यहां से सोशल मीडिया के माध्यम से एक उदाहरण पेश करना चाह रही हैं कि गांवों में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है।

प्रदेश की लोक कला ऐपण कला को देश विदेश में पहुंचाने का काम पहले ही मीनाक्षी खाती बखूबी निभा रही हैं। अब इन दिनों उनके दिमाग में पलायन को रोकने का आइडिया आया है। जिसके तहत वे सबसे पहले खुद अपने पैतृक गांव मेहलखंड (ताड़ीखेत ब्लॉक) पहुंची हैं। रिवर्स पलायन का ये मुद्दा प्रवासियों को शहरों से पलायन कर गांवों की ओर लौटने के लिए प्रेरित करेगा। मीनाक्षी खाती ने सोशल मीडिया पर गांवों की तमाम गतिविधियों को अपलोड करना शुरू कर दिया है।

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रिवर्स पलायन का संदेश लिए वे लगातार सोशल मीडिया पर ग्रामीण परिवेश, वातावरण, पहाड़ी जीवनशैली, गर्मी फिर बारिश से पर्वतीय वादियों के सौंदर्य में निखार को दर्शा रही हैं। मीनाक्षी अपने संवाद को ठेठ पहाड़ी भाषा में लोगों तक पहुंचा रही हैं। इतना ही नहीं बल्कि वे गांव की महिलाओं व युवतियों को ऐपण की कला भी सिखा रही हैं। एक तरफ जहां इस आइडिया से पलायन पर चोट पहुंच रही है तो वहीं लोक विद्या के गुर भी आने वाली पीढ़ी को आत्मसात हो रहे हैं।

ऐपण गर्ल के नाम से मशहूर मीनाक्षी खाती का मानना है कि जो लोग शहरों की तरफ गए वे वहीं के होकर रह गए। उनका कहना है कि जो लोग सफल हो गए हैं खासकर उन्हें तो गांवों में वापस लौटना ज़रूरी है। ताकि वे यहां आकर ग्रामीण विकास में कुछ न कुछ योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि रिवर्स पलायन पर ध्यान देना आवश्यक है। साथ ही अगर बाहर बसे लोग साल में कुछ बार भी गांवों की तरफ लौटते हैं तो इससे लगाव बना रहेगा। गांव के बारे में सोचने का मौका मिलेगा। अन्य प्रवासी भी प्रेरित होंगे।

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