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बागेश्वर के युवक ने झाड़ू से भगाया बेरोजगारी को दूर, पेश की आत्ममनिर्भर बनने की मिसाल

हल्द्वानी: कोरोना महामारी ने इंसान को घर में रहने का मौका ज़रूर दिया लेकिन इस मौके के कारण कई लोग अपनी रोजी रोटी से हाथ धो बैठे। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों से कई लोग बड़े बड़े शहरों की तरफ गए थे, काम भी कर रहे थे। मगर इस कोरोना वायरस ने सबको घर वापसी कराने पर मजबूर कर दिया। मगर अच्छी बात यह है कि अपने गांव लौटे ज़्यादातर प्रवासियों ने इस मौके को हौसले भरी नज़रों से देखा और फिर क्या था, लग गए लोग रोजगार के नए नए तरीके खोजने में।

सरकार भी प्रवासियों के लिए हर संभव मदद के प्रयास करने में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत उन्हें स्थानीय स्तर पर काम उपलब्ध करवाए जा रहे हैं और रोजगार पाने के लिए बैंकों से ऋण भी मुहैया कराया जा रहा है। लेकिन कुछ प्रवासी बिना सरकारी मदद या लोन के भी अपनी आजीविका को खोज रहे हैं, जिनमें एक हैं बागेश्वर के अनर्सा गांव के बसंत राम। खजूर के पत्तों का झाड़ू बना कर और बेंच कर इस व्यक्ति ने एक मिशाल पेश की है।

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कपकोट तहसील के अनर्सा गांव में रहने वाले बसंत राम मुंबई के एक होटल में काम किया करते थे। लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद जैसे ही सब कुछ बंद हुआ, उन्हें वापिस अपने राज्य उत्तराखंड का रुख करना पड़ा। बसंत के सामने रोटी कमाने का भयंकर संकट खड़ा था और परिवार होने के कारण बच्चों के लिए अनेकों तरह के संसाधनों की भी आवश्यकता थी। लेकिन मुश्किल घड़ी में बसंत गिरे नहीं, हताश नहीं हुए बल्कि लड़े और ऐसा लड़े कि आज सही ढंग से अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं

बसंत के मन में जो आइडिया आया, उसी आइडिए ने उन्हें रोजगार दिलवाया। बसंत हर दिन सुबह पांच बजे उठ कर जंगल जाते थे और वहां से खजूर या स्थानीय भाषा में कहें तो थाकव के पत्ते घर पर लाते थे। जिसे वे बाद में सुखा कर उसका झाड़ू बनाते थे। लगभग तीन महीने की मेहनत ऐसी रंग लाई कि अब वह परिवार की गुजर बसर आराम से करने लगे हैं। खजूर के तने का झाड़ू बनाकर वह कपकोट, बागेश्वर, कांडा, गरुड़ आदि जगहों के बाजार में बेचने लगे हैं। एक झाड़ू की कीमत लगभग 30 रुपये हैं। जबकि बजार में मिलने वाले झाडू 80 से लेकर 100 रुपये में बिक रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन तीन सौ रुपये तक के झाड़ू बेच रहे हैं।

इससे बसंत और उनके परिवार के साथ अन्य लोगों को भी फायदा पहुंच रहा है। कोरोना काल में कई लोग बेरोजगार हुए हैं। ऐसे में आपके आस पास भी अगर कोई है जो रोजगार के लिए खुद उत्पाद बना कर बेंच रहा है तो उसे बढ़ावा दीजिए, उस से सामान खरीदिए।

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