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ऑस्ट्रेलिया के फिलिप्स का उत्तराखंड के लिए प्यार, 14 देशों को साइकिल से किया पार

Philips story:- दुनिया भर में लोगों में आपने अलग-अलग प्रकार के शौक देखे होंगे। इन शौक को पूरा करने के लोग किसी भी हद तक चले जाते हैं। युवाओं में बढ़ता एक ऐसा ही शौक है साइकिलिंग का। साइकिलिंग के जरिए लंबे-लंबे रास्ते तय करने का युवाओं में अब ट्रेंड सा बन गया। पर शायद ही आपने कहीं सुना हो कि अपना शोक मुकम्मल करने के लिए कोई व्यक्ति देश की सीमाएं पार कर रहा हो।

हम बात कर रहे हैं साइकिल से 14 देशों की 14 हजार किमी की यात्रा करने वाले ऑस्ट्रेलिया के फिलिप्स की। आमतौर पर यह कारनामा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। लेकिन, फिर भी यह कारनामा कर दिखाया है यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया के फिलिक्स ने। कई देशों से गुजरते हुए 31 वर्षीय फिलिक्स अब भारत की यात्रा के लिए उत्तरकाशी पहुंचे चुके हैं। फिलिप्स पेशे से एक योग शिक्षक हैं। अपनी इस यात्रा के उद्देश्य के बारे में वो बताते हैं कि वे साइकिलिंग के जरिये लोगों को योग को अपनाने का संदेश देना चाहते हैं।

बता दिया जाए कि फिलिक्स ने एक साल पहले जर्मनी से अपनी साइक्लिंग की यात्रा शुरू की थी। इसके बाद वह स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोसनिया, मांटेनिग्रो, अल्बानिया, ग्रीस, तुर्की, अरमेनिया, ईरान से पाकिस्तान होते हुए अब बाघा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचे चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह साइकिल यात्रा के दौरान जगह-जगह पहुंचकर व लोगों से मिलकर उन्हें योग और ध्यान का महत्व बताते हैं। वे साइकिल पर ही खाना बनाने के सभी जरूरी समान और कैंपिंग किट लेकर चलते हैं। इस कारण उन्हें रात में खाने और रहने में ज्यादा दिक्कत नहीं झेलनी पड़ी। उन्होंने बताया कि एक दिन में वह 50 से 70 किमी तक का सफर तय कर लेते हैं।

उत्तरकाशी पहुंचे फिलिक्स बताते हैं कि भारत ने हमेशा से ही उन्हें योग के लिए प्रेरित किया है। वो कहते हैं कि उन्होंने योगाभ्यास की शुरुआत भले ही पश्चिम देशों से की हो, लेकिन भारत हमेशा से ही योग की जन्मभूमि रही है। ऐसे में लंबे समय से उनकी भारत आने की इच्छा थी। इस इच्छा को उन्होंने अपनी इस पहल के जरिए पूरा किया है। फिलिक्स भारत में योगाभ्यास व ध्यान आदि के तौर-तरीकों को सीखना चाहते हैं। इसके लिए वह योग नगरी ऋषिकेश गए थे, लेकिन वहां पर्यटकों की भारी भीड़ देखकर उन्होंने उत्तरकाशी के शिवानंद आश्रम की तरफ रुख कर लिया।

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