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Lockdown: बॉर्डर खुला,एक महीने के बाद घर पहुंचे दो हजार से ज्यादा लोग

लॉकडाउन के वजह से लोग अन्य राज्यों व शहरों में फंसे हुए हैं। कल गृह मंत्रालय की ओर से लोगों को घर पहुंचाने को लेकर राज्य सरकारों को निर्देश भी दिए गए। इस बीच गुरुवार को भारत में फंसे दो हजार से ज्यादा नेपाली नागरिकों की वतन वापसी हुई है। आज भारत और नेपाल को जोड़ने वाले तीन अंतरराष्ट्रीय झूलापुलों को खोला गया। इस दौरान बलुवाकोट व धारचूला से 958 और झूलाघाट से 1299 नेपाली नागरिकों को नेपाल भेजा गया। भारत में नेपालियों की बड़ी आबादी नौकरी के सिलसिले में निवास करती है। लॉकडाउन के दौरान यह सभी वहीं थे और फंस गए। इन नेपाली नागरिकों के रहने के लिए धारचूला, बलुवाकोट, बरम, पिथौरागढ़ और झूलाघाट के स्कूलों और अन्य सरकारी भवनों में प्रशासन द्वारा व्यवस्था की गई थी।

खबर के अनुसार कोरोना महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउ के कारण भारत-नेपाल को जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय झूलापुल के गेट बंद किए गए थे। इसके बाद 2257 नेपाली नागरिक भारत में ही फंस गए थे। सबसे ज्यादा 900 नेपाली निवासी धारचूला तहसील क्षेत्र रह रहे थे। भारत में लॉकडाउन को बढ़ाया गया तो शिविर में एक माह से भी अधिक समय बीतने से नेपाली नागरिकों को परेशानी हो रही थी। चार दिन पहले ही नेपाल सरकार ने अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए भारतीय प्रशासन को पत्र भेजा था। यह प्रस्ताव जिलास्तर से केंद्र सरकार को भेजा गया था।गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार प्रशासन को था।

अनुमति मिलने के बाद दोनों देशों के प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस, एसएसबी की मौजूदगी में झूलाघाट, बलुवाकोट और धारचूला के झूलापुलों से नेपाली नागरिकों को नेपाल भेजा गया। इस दौरान धारचूला में एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला भी मौजूद थे। पिथौरागढ़ के राहत शिविरों में रह रहे नेपाली नागरिकों को वाहनों से झूलाघाट पहुंचाया गया। इस दौरान एसडीएम तुषार सैनी मौजूद रहे। अपने घर जानें की खुशी नेपाल के निवासियों के चहरे पर दिखाई दे रही थी। उन्होंने भारत-नेपाल के नारे भी लगाए और प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था की भी तारीफ की। नेपाली नागरिकों ने बेहतर सुविधा देने के लिए भारत सरकार और जिला प्रशासन का धन्यवाद किया।

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