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18 साल बाद खत्म हुआ विवाद, सड़क पर दिखेगी उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश की जुगलबंदी

देहरादून: उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के रिश्ते बस यात्रा से और मधुर होंगे। दोनों ही प्रदेशों के संबंध सड़क पर दिखाई देंगे। जिस पल का लोग सालों से इंतजार कर रहे थे वो 18 साल बाद आया।  लंबे वक्त से राज्य की सड़कों में चल रहा विवाद दोनों प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के हस्ताक्षर के बाद समाप्त हो गया और एक नए रिश्ते की नींव डल गई है।राजस्थान व हरियाणा के बाद अब यूपी और उत्तराखंड (यूके) के बीच भी परिवहन निगम की बसों के संचालन का रास्ता साफ हो गया है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और परिवहन मंत्रियों की मौजूदगी में बसों के संचालन के संबंध में सोमवार को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

कालीदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में पारस्परिक परिवहन समझौता पत्र पर प्रदेश की प्रमुख सचिव परिवहन अराधना शुक्ला और उत्तराखंड के सचिव एवं आयुक्त परिवहन शैलेश बगौली ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व परिवहन मंत्री यशपाल आर्य मौजूद रहे। दोनों राज्यों के परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच समझौता पत्र का आदान-प्रदान किया गया।

इस समझौते के बाद अब यूपी की राजधानी लखनऊ, अयोध्या, बहराइच, समेत प्रदेश के वाराणसी, आगरा, प्रयागराज, मथुरा, मुरादाबाद, बरेली, सहारनपुर, मेरठ, वृंदावन, कानपुर और उत्तराखंड के देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, कोटद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल, काठगोदाम, रामनगर, काशीपुर, टनकपुर ऊधमसिंह नगर आपस में परिवहन सेवा से जुड़ जाएंगे।

यूपी परिवहन निगम की बसें उत्तराखंड के 216 मार्गों पर 1,39, 071 किलोमीटर तक चलेंगी, जबकि उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों का यूपी के 335 मार्गों पर 2,52,592 किमी तक संचालन होगा। दोनों राज्यो के बीच साधारण, एसी, वोल्वो और स्कैनिया बसों का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा दोनों राज्यों के बीच निजी बस संचालकों द्वारा भी 27 मार्गों पर 56787 किमी. तक बसों का संचालन होगा।

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