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कोरोना वॉरियर्स उत्तराखंड रोडवेज के चालक, प्रवासियों के लिए भूले आराम

कोरोना वॉरियर्स उत्तराखंड रोडवेज के चालक, प्रवासियों के लिए भूले आराम

उत्तराखंड के प्रवासियों को घर वापस लाने के लिए सरकार ने सैकड़ों की तादात में रोडवेज की बसें दूसरे राज्यों में भेजी है। प्रवासियों का राज्य में पहुंचना जारी है। इस बीच मेडिकल स्टॉफ को सलाम किया जा रहा है, जिला प्रशासन की भी वाहवाही हो रही है, व्यवस्था को कंट्रोल में बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी सुर्खियों में हैं… सरकार अपनी तारीफ करना जानती है लेकिन जो व्यक्ति इन सभी को उनके घर पहुंचाने के लिए सुख-चैन भूल गए हैं उन्हें कोई उनके बारे में ना कही लिखा है ना ही कही पढ़ा गया है….

हां सोशल मीडिया पर कुछ लोग उन्हें भी कोरोना वॉरियर्स कह रहे हैं…. हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड परिवहन निगम के चालकों के बारे में….. खबर तो ये भी सामने आई है कि इनके खाने की कोई खास व्यवस्था नहीं की है… कुछ जगह तो उन्होंने खुद ही खाना बनाया है।

गुरुग्राम से प्रवासियों को वापस लाने का मिशन जो सरकार ने बनाया उसे सफल बनाने में रोडवेज चालकों का रहा है। खबर के अनुसार गुरुग्राम में उत्तराखंड के प्रवासियों को लेने पहुंचे चालकों के लिए वहां सोने और खाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। जब ये सवाल खड़े किए गए तो अधिकारियों ने गेंद हरियाणा सरकार के पाले में डाल दी।

आलम यह हो गया है कि प्रवासियों को लेकर आ रहे हैं चालकों को खाली पेट रहना पड़ा है। यात्रियों की ओर से भी यह बात सामने आई है कि गुरुग्राम जिला प्रशासन की ओर से खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई थी।

दरअसल रोडवेज मुख्यालय की ओर से शनिवार को रुड़की, हरिद्वार और ग्रामीण डिपो देहरादून से रोडवेज की 103 बसों को उत्तराखंड के प्रवासियों को लाने के लिए गुरुग्राम के स्टेडियम में भेजा गया था, लेकिन यहां पर चालकों के लिए कोई इंतजाम न होने से चालक भूखे ही बस लेकर हरिद्वार पहुंचे। नारसन बॉर्डर पर उत्तराखंड में प्रवेश करने के बाद प्रशासन ने उन्हें खाने के पैकेट दिए, तब जाकर उनकी जान में जान आई। वहीं यात्रियों को सिर्फ एक-एक बिस्कुट का पैकेट दिया गया। 242 किमी के सफर के लिए आधे लीटर की पानी की बोतल दी गई। इससे पहले भी इस तरह की जानकारी सामने आ चुकी हैं, बेहतर यही होगा कि सरकार हरियाणा सरकार के साथ तालमेल बैठाए.. क्योंकि प्रवासियों को वापस लाने में सबसे बड़ा हाथ चालकों का ही रहने वाला है।

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