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इलाज में हुई देरी कारण मां और बच्चे की हुई मौत

हल्द्वानी। एक तरह प्रदेश सरकार स्वास्थ्य ढांचे के सुधार की बात करती है । हर समय सरकारी अस्पतालों के आधुनिकरण की बात कही जाती है लेकिन सुधार से ज्यादा हालात और गंभीर होते जा रहे है। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में तो हालात सुधरने की बजाय और खराब हो रही है। पहाड़ी क्षेत्रों के अस्पताल में सुविधा की कमी के कारण अधिकतर मरीजों को हल्द्वानी रेफर किया जाता है लेकिन यहां के अस्पतालों की व्यवस्था उनकी गरीबी और बिमारी के साथ केवल खिलवाड़ ही करती है। ताजा मामले में शहर के सबसे बड़े अस्पताल प्रशासन के ढिले रवैये ने एक मां और उसके बच्चे की ज़ान ले ली।  पिथौरागढ़ के बूंगाछीना गांव  निवासी शकुंतला (24) गर्भवती थी। उससे पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल से हल्द्वानी सुशीला तिवारी रेफर किया गया था। लेकिन गंभीर हालत से अपनी और नन्ही जान की जिन्दगी के लिए मुकाबला कर रही शकुंतला एसटीएच में  इलाज ही नही मिला। उसके बाद जब उससे शहर के प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया तो उसके बच्चे की गर्भ में ही मौत हो चुकी थी। गंभीर स्थिति में ऑपरेशन कर मृत बच्चे को गर्भ से निकाला गया लेकिन कुछ देर बाद शकुंतला भी जिन्दगी की लड़ाई हार गई।

शकुंतला की मृत्यु के बाद उसके पति सुनील ने बताया की सुशीला तिवारी अस्पताल में ऑपरेशन की पूरी तैयारी हो चुकी थी लेकिन अंतिम समय में उन्होंने आईसीयू खाली ना होने की बात कह थी। आनन-फानन में शकुंतला को शहर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन ना शकुंतला बच सकी ना ही उसका बच्चा। शकुंतला की मौत शुक्रवार सुबह को हुई। पति सुनील ने कहा कि बच्चे की गृर्भ में मौत हो जाने से शकुंतला सदमे में चले गई थी वो बार बार बच्चे को दिखाने की बात कर रही थी। सुनील ने कहा कि अस्पताल के ढिले रवैये के कारण उसकी पूरी जिन्दगी अंधकार में चले गई है। उसने कहा कि घर से निकलते वक्त उसने अपनी बेटी से कहा था कि वापस आते वक्त उसके लिए भाई या बहन लाएंगे लेकिन यहां तो मैने अपनी पत्नी ही खो दी।

अब बात ये सामने आती है क्या हो गया है हमारे उन पढ़े लिखे प्रशासन को जो लोगों को अपनी कलम और ज्ञान का घंमड दिखाते है। इतने बड़े अस्पताल में क्या ये पता नही रहता कि आईसीयू खाली भी है या नही। सुरक्षा प्रशासन के पास जब ये खबर आएगी वहां से जांच की आवाज के अलावा कुछ सामने नही आएगा। इस गूंगे प्रशासन के ढिले रवैये के कारण ना जाने कितने परिवार उजड़े है और कितने और इनकी इस तरह की अधूरी व्यवस्था के कारण अपनी जान गवाएंगे।

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