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पर्यावरण संरक्षण का त्यौहार है हरेला, जानें पूरा इतिहास जिससे जुड़ी है करोड़ो लोगों की आस्था

इससे मिट्टी में फसल के अनुसार खनिज-लवणों की कमी नहीं होती थी . फसलों का चक्र बदलते रहने से खेत से खरपतवार भी नष्ट हो जाते थे . रोपाई लगाने के लिये खेत तैयार करते समय खेत में उगी खरपतवार सड़ जाती थी . जो हरी खाद का काम धान की फसल के लिये करती थी . रोपाई लगाना खेती के कार्य में सबसे ज्यादा मेहनत का काम है . इसी वजह से रोपाई लगाने के बाद मनाया जाने वाला हरेला त्योहार लोगों को रोपाई की थकान के बाद एक नयी ताजगी भी देता था . उन दिनों मनोरंजन के दूसरे कोई साधन न होने से भी शायद त्योहारों की अपनी एक अलग महत्ता थी . बच्चों को तो हरेले के त्योहार का विशेष तौर पर इंतजार रहता था क्योंकि गर्मियों की लम्बी छुट्टी के बाद 9 जुलाई को स्कूल खुलते थे तो उसके लगभग एक हफ्ते बाद ही स्कूल की वह पहली छुट्टी होती थी . उन दिनों 21 मई को स्कूल बन्द होते थे और 9 जुलाई को खुलते थे .
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