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खटीमा पहुंचा शहीद विरेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर, पत्नी और पिता बेसुध…

हल्द्वानी: 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले से पूरा भारतवर्ष दशहत में है। पूरा देश आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग कर रहा है। इस हमले में शहीद हुए 44 जवानों के पार्थिव शहीर उनके घर पहुंच रहे है।

शनिवार की सुबह उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर स्थित खटीमा के रहने वाले शहीद विरेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा। इसके बाद पूरे इलाकों में केवल चीख पुकार सुनाई देने लगी। वह 23 जनवरी को छुट्टी पर घर आए थे और दो दिन पहले (12 फरवरी) ही ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। तब उन्होंने जल्द घर पहुंचने का वादा किया था। विरेंद्र घर जल्दी लौटा लेकिन शहीद होकर…

पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा रवाना हुई। इस दौरान केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री अजय टम्टा ने  पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग पहुंचे। पिता दीवान सिंह और पत्नी रेनू बेसुध हैं। पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में खटीमा के मोहम्मदपुर भुड़िया निवासी विरेंद्र सिंह राणा (36) क्षेत्र के मोहम्मदपुर भुड़िया निवासी दीवान सिंह (80) के पांच बेटों और बेटियों में सबसे छोटे थे।

विरेंद्र की शहादत के बारे में सूचना मिलते ही पत्नी रेनू (26), उनकी भाभियां और दोनों बहनें रित्छा और पुष्पा बेसुध हो गईं। विरेंद्र अपने पीछे दो मासूम बच्चे छोड़कर गए हैं। बड़ी बेटी रोही (4) और ढाई वर्षीय पुत्र बयान सिंह पिता की शहादत से बिल्कुल अंजान हैं। खटीमा में लोगों का आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों ने विरेंद्र की शहादत को नमन करते हुए पाकिस्तान को बर्बाद करने की मां की। उन्होंने कहा कि बात नहीं अब वार होगा।

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बता दें कि शुक्रवार को  शहीदों के सम्मान में राज्य विधानसभा में शुक्रवार को बजट पेश नहीं किया गया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। अब वित्त मंत्री प्रकाश पंत सोमवार 18 फरवरी को बजट पेश करेंगे। कैबिनेट की बैठक भी स्थगित कर दी गई। मुख्यमंत्री ने शनिवार के अपने सभी कार्यक्रम रद् कर दिए हैं। प्रदेश सरकार ने राज्य के दोनों शहीदों के एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी और 25-25 लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की है।

 

सैन्य बहुल उत्तराखंड में पुलवामा हमले के बाद प्रदेशभर में गम और गुस्से का माहौल है। जगह-जगह आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए तो कैंडल मार्च व सभाओं के जरिये शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही केंद्र सरकार से मांग की गई कि हमले का बदला लेने के लिए वह आतंकवाद और पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब दे।

 

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