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काठगोदाम की रेलवे लाइन को बचाने के लिए आईआईटी रुड़की ने दिया सुझाव

Haldwani:- 2021 में गौला नदी में आई बाढ़ की भयावहता से हम सभी वाकिफ है। गौरमतलब है कि उसी दौरान काठगोदाम रेलवे की शंटिंग लाइन को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। उस के बाद भी कई बार ऐसी स्तिथि सामने आए जिस कारण रेलवे की ये शंटिंग लाइन काफी प्रभावित हुई। इन हालातों को मद्देनज़र रखते हुए और भविष्य में इन कठिनाइयों से बचने के लिए रेलवे द्वारा काठगोदम रेलवे स्टेशन की शांटिंग लाइन को दुरुस्त करने और गौला नदी के बहाव से बचाने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

साल 2021 में तेज बहाव में बही शंटिंग लाइन के लिए रेलवे द्वारा आईआईटी रुड़की की टीम से मौके पर सर्वे कराया गया था। इस सर्वे के बाद सुरक्षा के लिए टीम, ग्रेविटी वॉल या पाइलिंग का उपाय ले कर आई थी। चूंकि पाइलिंग में बोल्डर्स और अधिक लागत जेसी समस्याएं सामने आने लगी तो ग्रेविटी वॉल की योजना को सुनिश्चित किया गया। इस से गौला नदी के बहाव से ट्रैक के पास भू-कटाव का खतरा कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार मार्च तक शांटिंग लाइन को सुरक्षित करने का काम पूर्ण हो जाएगा।

क्या होती है ग्रेविटी वॉल?


ग्रेविटी वॉल कठोर दीवारें होती हैं जिनका उपयोग मिट्टी को सहारा देने के लिए किया जाता है ताकि इसे दोनों तरफ विभिन्न स्तरों पर बनाए रखा जा सके। यह ऐसी संरचनाएं हैं जो मिट्टी को उस ढलान पर रोकने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं जिस पर वह स्वाभाविक रूप से नहीं टिक पाती। इनका उपयोग दो अलग-अलग ऊंचाइयों के बीच मिट्टी को बांधने के लिए किया जाता है। अक्सर वे इलाके जहां काफ़ी ढलान होती है या ऐसे क्षेत्र जहां परिदृश्य को गंभीर रूप से आकार देने की आवश्यकता होती है जैसे पहाड़ी खेत या सड़क मार्ग, ओवरपास आदि पर ग्रेविटी वॉल को इंजीनियर किया जाता है। ग्रेविटी वॉल जो पीछे की तरफ मिट्टी और सामने की तरफ पानी को रोके रखती है, सीवॉल या बल्कहेड कहलाती है।

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