Dehradun News

उत्तराखंड मुख्यमंत्री धामी ने ली रोडवेज कर्मियों की सुध, वेतन कटौती का फैसला निरस्त

Uttarakhand CM decided to give full salary to Roadways workers

देहरादून: प्रदेश भर में बस यात्रा को तरजीह देने वाले यात्रियों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। सरकार ने रोडवेज निदेशक मंडल द्वारा कर्मियों के वेतन को आधा करने के फैसले को निरस्त कर दिया है। लिहाजा अगर ये फैसला निरस्त नहीं होता तो रोडवेज कर्मी हड़ताल पर उतरने वाले थे। माना जा रहा है कि सीएम धामी भी इस फैसले से काफी नाराज थे।

दरअसल कोरोनाकाल में रोडवेज को हुए घाटे को देखते हुए रोडवेज निदेशक मंडल ने कर्मचारियों को आधा वेतन देने का फैसला किया था। जिसके बाद कर्मियों ने इसके विरोध में बुधवार रात 12 बजे से हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। मगर फैसला निरस्त होने के बाद बुधवार रात आठ बजे ही कर्मियों ने हड़ताल को टाल दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वेतन कटौती के इस फैसले से सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत परिवहन मंत्री नाखुश थे। कैबिनेट बैठक में इस बारे में आपत्ति जताई गई थी। लिहाजा देखा जाए तो 520 करोड़ के घाटे में चल रहा रोडवेज विभाग पिछले एक साल से सरकारी मदद से ही वेतन बांट रहा है।

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फरवरी का वेतन पिछले ही महीने दिया गया है तो वहीं रिटायर्ड कर्मियों के भुगतान तक लंबित हैं। बीती पांच जुलाई को रोडवेज निदेशक मंडल ने घाटा समाप्त होने तक कर्मियों के वेतन को आधा करने का निर्णय तो लिया मगर कर्मचारी संगठन इसके पुरजोर विरोध में उतर आए और उन्होंने हड़ताल का ऐलान कर दिया।

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बुधवार रात और परिवहन निगम संयुक्त मोर्चा ने गुरुवार रात से हड़ताल करने की बात कही थी। लेकिन सरकार ने कार्मिकों की सुध लेते हुए रोडवेज निदेशक मंडल का आदा वेतन देने का फैसला रद्द कर दिया है। जिस कारण अब रोडवेज बसें लगातार चलती रहेंगी।

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दरअसल कोरोनाकाल में रोडवेज को हुए घाटे को देखते हुए रोडवेज निदेशक मंडल ने कर्मचारियों को आधा वेतन देने का फैसला किया था। जिसके बाद कर्मियों ने इसके विरोध में बुधवार रात 12 बजे से हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। मगर फैसला निरस्त होने के बाद बुधवार रात आठ बजे ही कर्मियों ने हड़ताल को टाल दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वेतन कटौती के इस फैसले से सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत परिवहन मंत्री नाखुश थे। कैबिनेट बैठक में इस बारे में आपत्ति जताई गई थी। लिहाजा देखा जाए तो 520 करोड़ के घाटे में चल रहा रोडवेज विभाग पिछले एक साल से सरकारी मदद से ही वेतन बांट रहा है।

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